रविवार, 12 दिसंबर 2010

लोकतंत्र के लिए मीडिया का नियमन जरुरी: मनोज



 मीडिया की आचार- संहिता पर गोष्ठी संपन्न  

           भोपाल, 12 दिसंबर: वर्तमान युग में भारत का मीडिया विश्वसनीयता के घोर संकट से गुजर रहा है। ऐसा होना लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी संकट है। मीडिया का पतन जनतंत्र के विरूद्ध अपराध है। ऐसे में जरूरी है मीडिया के लिए आचार संहिता। उक्त विचार है भोपाल संभागायुक्त मनोज श्रीवास्तव के। वह इंडियन मीडिया सेंटर के मध्यप्रदेश चैप्टर द्वारा आयोजित मीडिया के लिए आचार सहिता: आवश्यकता एवं स्वरूप विषय पर आयोजित वक्ता बोल रहे थे। माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि में आयोजित इस गोष्ठी मे श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मीडिया अगर विधि निर्मित नहीं चाहती तो स्वयं संहिता निर्माण की पहल करें।

           उन्होंने कहा कि आज पत्रकार संकट में फंसे व्यक्ति को बचाने के बजाय उसकी तस्वीर खीचने में लग जाता है। बिना मतलब सूचना के अधिकार का दुरूपयोग करने लगता है। विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे की प्रशंसा करते हुए संभागायुक्त ने कहा कि उन्होंने बिना किसी आरटीआई के जो कर दिखाया है। वर्तमान मीडिया का वैसा ही लक्ष्य होना चाहिए। मीडिया की साख पर लग रहे बट्टे का एक मात्र समाधान है उसके लिए आचार संहिता का निर्माण। यह संहिता चाहे कानून के तहत हो अथवा पत्रकारों द्वारा निर्मित पर लोकतंत्र की विश्वसनीयता इसी में सुरक्षित है।
        
           कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरडी शुक्ला ने भी आचार संहिता का समर्थन करते हुए कहा कि संविधान के जिस अनुच्छेद 19 के नाम पर पत्रकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली है, आज उसका दुरूपयोग हो रहा है। इस अधिकार की शर्तो पर अधिकतर मीडिया हाउस ध्यान नहीं देते और लोकतंत्र और भारतीय संस्कृति पर खतरा बने हुए है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरें में पड़ जाती है। न्यायमूर्ति शुक्ला ने मीडिया के लिए आचार संहिता को कानून द्वारा बनाए जाने को बात का समर्थन किया और कहा कि इसे मानना मीडियाकर्मियों की बाध्ययता होनी चाहिए। वोट और बहुमत के आधार पर न्याय नहीं हो सकता। उन्होंने अरूंधती राय व गिलानी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि संहिता बनने से राष्ट्र के लिए घातक भाषणों भी रोक लग सकेगी।


           गोष्ठी में इंडियन मीडिया सेंटर के एम.पी. चैप्टर के अध्यक्ष रमेश शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पत्रकारिता जुनून होना चाहिए। आज के दौर में अल्य व्यवसायों की तरफ कई छात्र मीडिया की पढ़ाई कर बिना रूचि के पत्रकार बन रहे है, इससे पत्रकारिता में बुराईयां बढ़ रही है। श्री शर्मा ने मीडिया के मालिकों व पत्रकारों दोनों के लिए आचार संहिता की वकालत की। इस अवसर पर पत्रकारिता विवि के कुलपति प्रो. बी.के. कुठियाला प्रकाशन निदेशक राघवेंद्र सिंह सहित उपस्थित पत्रकारों व पत्रकारिता के छात्रों ने भी अपने विचार रखे। छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान गोष्ठी में उपस्थित विद्वानों ने किया। संचालन अनिल सौमित्र ने किया।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हरमन जी, मुझे अंग्रेजी में थोड़ी समस्या है इसलिए आपका ब्ल़ॉग नहीं पढ़ पा रहा।

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