शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

विद्या से आएगी समृद्धि: प्रो. कुठियाला

विद्यार्थियों ने मनाया दीपावली मिलन समारोह


          भोपाल, २९ अक्तूबर: लक्ष्मी और सरस्वती आपस में बहनें ही हैं। यदि विद्या है तो धन और समृद्धि अपने आप ही प्राप्त हो जाएंगी। पत्रकारिता में सरस्वती की अराधना से ही लक्ष्मी भी प्रसन्न होंगी। दीपावली का पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आगमन को याद करने के साथ उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लेने का अवसर है। उक्त बातें माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रों बृजकिशोर कुठियाला ने विवि के जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित दीपावली मिलन सामारोह में कही।

        प्रों. कुठियाला ने विश्वविद्यालय प्रशासन तथा स्वयं की ओर से विद्यार्थियों को दीपावली की शुभकामनाएँ देते हुए अपील की कि विद्यार्थी कोर्स समाप्त होने के बाद जब पत्रकारिता करें तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को ध्यान में रखकर करें ताकि दीपावली की प्रासंगिकता युगों-युगों तक कायम रहे। वर्तमान में मीडिया जगत में पाँव पसार रहे सुपारी पत्रकारिता व पेड-न्युज संस्कृति से पत्रकारिता को मुक्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने हनुमान जी को विश्व का पहला खोजी पत्रकार बताया। जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने विद्यार्थियों को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पूरा विश्व आज भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है। हमें उनकी आशाओं पर खरा उतरने के लिए रामराज्य को धरती पर उतारने की आवश्यता है। इसके लिए भारत में सुख, समृद्धि, एकता और अखंडता का वातावरण बनाना होगा। तभी, दीपावली का पर्व भी सार्थक होगा। शिक्षिका मोनिका वर्मा ने विद्यार्थियों को घर जाकर आनंद से दीपावली मनाने की शुभकामनाएँ दी और कहा कि जब वापस आएँ तो पूरी लगन से पढ़ाई करें ताकि सारा जीवन दीपावली की खुशियाँ मनाएँ।

                   समारोह में दीपावली की पौराणिक कथाओं के बारे में बताते हुए छात्र देवाशीष मिश्रा ने बताया कि यह बुराइयों पर अच्छाइयों की जीत की खुशी मनाने का पर्व है। छात्रा श्रेया मोहन ने दीपावली के बाद बिहार-झारखण्ड में विशेष रूप सें मनाए जाने वाल छठ-पर्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने गीत-गायन व कविता पाठ भी किया। शाहीन बानो ने एक हास्य कविता का पाठ कर सबका मन मोह लिया वहीं संजय ने राजस्थानी लोकगीत पधारो म्हारो देश गाकर सबको राजस्थान आने का निमंत्रण दिया । छात्रा मीमांसा ने एक सुंदर कृष्ण-भजन का गायन किया। कार्यक्रम का संचालन अंशुतोष शर्मा व शिल्पा मेश्राम ने किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक संदीप भट्ट, शलभ श्रीवास्तव, कर्मचारीगण तथा समस्त छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।

सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

अमेरिका की कृपा मंहगी पड़ेगी

अफगानिस्तान- इराक की राह पर पाकिस्तान


संयुक्त राज्य अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी के अनुसार, अगर पाकिस्तान ने आतंकी ठिकाने नष्ट नहीं किए तो अमेरिकी सेना पाकिस्तान की ही सेना की मदद लेकर उन ठिकानों पर हमला कर देगी। अब तक तो सिर्फ हवाई हमले हो रहे हैं, जमीनी लड़ाई भी शुरू की जा सकती है। किसी एशियाई देश को इतनी धमकी दे देना अमेरिका के लिए कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसे हल्के में लेना पाक की भूल होगी। इसके खिलाफ कोई तर्क देने से पहले हमें ईराक और अफगानिस्तान की मौजूदा हालत की ओर एक बार देख लेना चाहिए।


इस मामले में पाक विदेश मंत्री रहमान मलिक का पिछले दिनों दिया गया बयान उल्लेखनीय है। रहमान ने कहा था- “नाटो बलों की हमारे भूभाग में हवाई हमले जैसी कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र की उन दिशानिर्देशों का स्पष्ट उलंघन है जिनके तहत अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल काम करता है।” पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय नियमों को कितना मानता है। ये अलग बात है कि उसने प्रोटोकॉल को मानने का वादा भी कर दिया है अमेरिका ने, इस शर्त के साथ कि सेना को आत्मरक्षा का अधिकार है।


दोनों तरफ की बयानबाजी को देखकर एक बात साफ हो जाती है कि ईराक और अफगानिस्तान के बाद अब अमेरिका की हिटलिस्ट में पाकिस्तान का नंबर है। तेल के पीछे पागल अमेरिका ने सद्दाम हुसैन के बहाने ईराक पर हमले किए। उसी तरह 9/11 के हमलों नें उसे अफगानिस्तान पर हमले के लिए तर्क तैयार किए और अब आर्थिक मदद दे देकर पाक को इतना कमजोर और परनिर्भर बना दिया है कि आज वह कोई फैसला खुद से लेने के काबिल नहीं रहा। जहाँ तक बात आतंकवाद के खात्मे की है तो यूएस ने ही लादेन और सद्दाम को पाला था जो आस्तीन के साँप की तरह उसी पर झपटे थे। इसके बाद पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों को भी अप्रत्यक्ष रूप से उसने सह ही दी। शायद, इसके पीछे उसकी मंशा भारत और पाक के बीच शक्ति-संतुलन की थी ताकि अपना उल्लू सीधा किया जा सके। समय- समय पर उसने खुले हथियार भी मुहैया कराए। अमेरिकी जैसे धुर्त देश से भोलेपन की आशा की करना बेवकूफी है। उससे प्राप्त हो रही हर प्रकार की सहायता का मनमाना दुरुपयोग पाकिस्तान भारत के खिलाफ करता रहा और आतंकिवादियों की नर्सरी की अपनी भूमिका पर कायम रहा। यह उसकी दूरदर्शिता की कमी उसे इस मोड़ पर ले आई है कि उसके पड़ोसी देश भी उसके साथ नहीं हैं और अमेरिका की धमकियों के आगे उसे नतमस्तक होना पड़ रहा। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी जब अमेरिका सच में वहाँ जमीनी लड़ाई पर उतर आएगा और वहाँ की आम जनता भी पाक सरकार के साथ खड़ी नहीं होगी। अपने निर्माण के समय से ही वहाँ की जनता अराजकता झेलती आ रही है। कुल मिलाकर एक और इस्लामिक देश एक खतरे में फँसता जा रहा है जहाँ न वो विरोध कर सकेगा और न ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहानुभूति ही हासिल कर पाएगा। विश्व में इसकी छवि एक आतंकी देश के रूप में बहुत पहले ही बन चुकी है।




(यह लेख न्यूजनाइन डॉट इन पर भी प्रकाशित हुआ था। नीचे दिए गए  लिंक पर जाकर देखा जा सकता है।)



http://www.newsnine.in/NewsDescription.aspx?id=85